विषय परिचय:-
Bihar Land Survey 2025: 52% आवेदन खारिज,Bihar में Bhumi हीन परिवारों को जमीन मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘अभियान बसेरा-दो’ योजना को लेकर हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राजस्व एवं Bhumi सुधार विभाग की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक किए गए आवेदनों में से लगभग 52% आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें से कई योग्य परिवार भी शामिल हैं, जिन्हें अयोग्य बताकर योजना से बाहर कर दिया गया है।
यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न है।
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Bihar Bhumi योजना: उद्देश्य क्या था?
Bihar सरकार ने गरीब और Bhumiहीन परिवारों को घर बनाने के लिए 5 डिसमिल जमीन देने की पहल शुरू की थी। इसका मकसद था कि समाज के सबसे वंचित तबके—मुसहर, दलित, महादलित, और अन्य गरीब परिवारों—को आवास के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाएं। इसके लिए अभियान बसेरा-दो योजना की शुरुआत की गई और 1.25 लाख से ज्यादा परिवारों का Land Survey किया गया।
लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इनमें से सिर्फ 48,000 परिवारों को ही जमीन का लाभ मिल सका।
आखिर क्यों खारिज हो रहे हैं इतने आवेदन?
सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि Bihar Land Survey 2025: 52% आवेदन खारिज “Not Fit for Land Allotment” के आधार पर खारिज कर दिया गया। इससे यह संदेह उत्पन्न हुआ कि कई मामलों में स्थानीय प्रशासन—विशेषकर अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारी—जानबूझकर गरीब परिवारों को योजना से बाहर कर रहे हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सचिव जय सिंह ने खुद इस पर चिंता जताई और जिलों को निर्देश दिए कि सभी खारिज आवेदनों की पुनः जांच की जाए।
सामाजिक न्याय पर हमला
सबसे दुखद पक्ष यह है कि दलित, महादलित और मुसहर समुदाय के वे परिवार, जो सबसे अधिक पात्र हैं, उन्हें भी अयोग्य घोषित कर दिया गया। यह सिर्फ नीतिगत विफलता नहीं बल्कि सामाजिक भेदभाव का उदाहरण भी बनता है।
Bhumi हीन किसान संघ के नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है:
“जिन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, उन्हें ही योजना से बाहर कर देना शर्मनाक है।”
सरकार की कार्रवाई और उपाय
अब जब ये मामला सामने आया है, विभाग ने तेजी से सुधारात्मक कदम उठाए हैं:
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सभी जिलों को खारिज आवेदनों की पुन: समीक्षा का आदेश
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सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों से स्पष्टीकरण (शोकॉज नोटिस)
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अब तक 6+ अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
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भविष्य में दोषी पाए जाने वालों पर निलंबन और FIR जैसे कठोर कदम
तकनीकी माध्यम: एप्लीकेशन से सर्वे
Land Survey की प्रक्रिया पूरी तरह मोबाइल एप्लिकेशन ‘Aabhiyan Basera’ के माध्यम से हो रही है, जो एक डिजिटल पारदर्शिता की ओर संकेत करता है। लेकिन अगर डेटा एंट्री, सर्वे टीम और अधिकारी सही कार्य नहीं कर रहे, तो तकनीक भी निष्प्रभावी हो जाती है।
आगे क्या किया जाए?
✅ Bihar Land Survey 2025: 52% आवेदन खारिज आवेदकों को दोबारा आवेदन और पुनरावलोकन का अधिकार मिलना चाहिए
✅ जिलास्तरीय निगरानी समिति बनाई जाए जिसमें सामाजिक प्रतिनिधि भी हों
✅ योजना की सभी प्रक्रियाएं पब्लिक डोमेन में लाकर जन निगरानी सुनिश्चित की जाए
✅ दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि उदाहरण बन सके
निष्कर्ष: उम्मीद की किरण
Bihar सरकार की मंशा गरीबों को जमीन देकर उनका सशक्तिकरण करना है, लेकिन स्थानीय प्रशासनिक लापरवाही उस मंशा को ठेस पहुंचा रही है। यह आवश्यक है कि पारदर्शिता, जवाबदेही और संवेदनशीलता के साथ ऐसी योजनाओं को लागू किया जाए।
जिस तरह विभाग ने फौरन पुनरावलोकन और कार्रवाई का निर्देश दिया है, उससे उम्मीद की जा सकती है कि वंचितों को उनका हक ज़रूर मिलेगा।
अंत में आपसे अनुरोध
अगर आप इस योजना से जुड़े हैं, या किसी को जानते हैं जिसे नाजायज़ रूप से योजना से बाहर किया गया है—तो कृपया स्थानीय अंचल कार्यालय या Bihar Bhumi पोर्टल पर संपर्क करें।
न्याय तभी मिलेगा, जब हम आवाज़ उठाएंगे।