बिहार में भूमि विवादों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि थानों में सुनवाई अनियमित हो रही है। कई बार अधिकारी व्यस्त रहते और ग्रामीणों को हफ्तों इंतजार करना पड़ता था।
इसी समस्या को खत्म करने के लिए प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। अब भूमि विवाद की सुनवाई हर शनिवार को सीधे अंचल कार्यालय में होगी।
ALSO READ:- बिहार रजिस्टर 2 या जमाबंदी पंजी कैसे देखें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
क्यों बदली गई व्यवस्था?
-
पहले थानों में सुनवाई का सिस्टम था।
-
लेकिन थानाध्यक्ष और अंचलाधिकारी की व्यस्तता के कारण सुनवाई समय पर नहीं हो पाती थी।
-
अब सुनवाई का पूरा ज़िम्मा अंचल कार्यालय को दे दिया गया है, ताकि ग्रामीणों को पारदर्शिता और समय पर न्याय मिले।
जिलों का प्रदर्शन – आंकड़ों में हकीकत
-
साहेबगंज थाना: 462 में से 438 मामलों का निष्पादन ✅
-
करजा थाना: 203 में से 203 मामले निपटाए ✅
-
बेला और मिठनपुरा थाना: एक भी मामला निपटाया नहीं ❌
यह आँकड़े दिखाते हैं कि कई थाने गंभीरता से काम कर रहे थे, जबकि कुछ थानों में लापरवाही साफ नज़र आई।
लोगों को क्या फायदा होगा?
-
अब ग्रामीणों को थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
-
एक निश्चित दिन (शनिवार) पर सुनवाई होगी।
-
अंचलाधिकारी, राजस्व अधिकारी और पुलिस अधिकारी एक ही जगह पर मिलेंगे।
-
विवादों का निष्पादन तेज़ी से होगा।
आम जनता की राय
गाँव के लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि:
-
पहले जहाँ महीनों तक मामला लटका रहता था,
-
अब अंचल कार्यालय में तुरंत निर्णय मिलने की उम्मीद है।
❓ FAQs
Q1. बिहार में भूमि विवाद की सुनवाई अब कहाँ होगी?
➡ अब सुनवाई थानों में नहीं, बल्कि अंचल कार्यालय में हर शनिवार होगी।
Q2. इसमें कौन-कौन अधिकारी शामिल होंगे?
➡ अंचलाधिकारी, राजस्व अधिकारी, हल्का कर्मचारी और पुलिस अधिकारी।
Q3. क्या इससे विवाद जल्दी सुलझेंगे?
➡ हाँ, क्योंकि अब सुनवाई तय समय और तय स्थान पर होगी, जिससे पारदर्शिता और गति दोनों आएंगे।
📌 निष्कर्ष
बिहार सरकार का यह कदम न केवल भूमि विवादों को कम करेगा बल्कि ग्रामीणों के लिए न्याय की प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाएगा। आने वाले समय में यह व्यवस्था राज्य में भूमि प्रबंधन सुधार का बड़ा उदाहरण बन सकती है।